Tuesday, 1 March 2011

गैर मुस्लिम लड़की-लड़के से शादी हराम : देवबंद

इस्लामी कायदे कानूनों के बारे में लोगों संदेहों का निराकरण करने वाली संस्था दारुल उलूम देवबंद इस साल जीवन से जुड़े अलग-अलग फतवों को लेकर खासी चर्चा में रही। अब देवबंद ने हालिया जारी एक फतवे में किसी मुस्लिम लड़के या लड़की की गैर मुस्लिम लड़की-लड़के से शादी को हराम बताया गया है।

इस संस्था ने हाल ही में जारी एक फतवे में कहा कि ऐसी शादी हराम है। साथ ही कहा गया कि शादी के प्रस्ताव पर कोई भी फैसला करते वक्त पैसे को नहीं धर्म को तरजीह दी जानी चाहिए

संस्था से निकाह संबंधी फतवों की श्रेणी में सवाल पूछा गया है, 'कोई लड़की ऐसे लड़के से शादी करना चाहती है, जो बहुत अमीर है और उसे अच्छा जीवन दे सकता है और इस कोशिश में वह अपने माता-पिता की पसंद को स्वीकार नहीं करती, क्योंकि माता-पिता ने जो रिश्ता देखा है उसमें पैसे से ज्यादा धर्म को अहमियत दी जा रही है। ऐसे में क्या अभिभावकों को लड़की की पसंद को मान लेना चाहिए या लड़की को अभिभावकों की पसंद को?'

ऐसे फतवे की बात कोई नई नहीं है। पहले भी ऐसे कई फतवे सुर्खियों में रहे हैं।

हकीम की इजाज़त से ही हो गर्भपात- दारुल-उल-देवबंद द्वारा जारी किए गए फतवे के मुताबिक अब किसी भी मुस्लिम महिला को गर्भपात करवाने के लिए हकीम से आज्ञा लेनी होगी।

महिलाएं पुरुषों से दूरी रखें- देवबंद मदरसे द्वारा मुस्लिम महिलाओं के लिए फतवा जारी किया गया था। देवबंद ने अपने फतवे में मुस्लिम कामकाजी महिलाओं को दफ्तरों मेंदू  पुरुषों से घुलने मिलने के लिए मना किया था।

डाई को ना मेहंदी को हां- देवबंद ने मुस्लिम समुदाय के पुरुष और महिलाओं से हेयर डाई का इस्तेमाल करने से भी रोका है। इस संबंध में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए देवबंद ने इसे 'धोखा' कहा और महंदी को ही उपयुक्त बताया है।

सानिया-शोएब की नजदीकियों पर फतवा - पिछले दिनों चर्चा में रही टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा और पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक की शादी को लेकर भी एक फतवा जारी हुआ था। सुन्नी उलेमा बोर्ड को सानिया और शोएब के शादी से पहले साथ एक घर में रहने और मिलने जुलने पर आपत्ति थी। बोर्ड के अनुसार निकाह के पहले एक छत के नीचे रहना गैर इस्लामिक है। ये फतवा उस वक्त जारी हुआ था जब शोएब हैदराबाद में बंजारा हिल्स स्थित मिर्जा हाउस में एक हफ्ते से रह रहे थे।

वंदे मातरम के खिलाफ फतवा - जमात ए उलेमा हिंद ने मुसलमानों के वंदेमातरम गाने के खिलाफ फतवा जारी किया था। जमात के अनुसार वंदेमातर गाना इस्लाम के खिलाफ है। देवबंद द्वारा इस बात को मंजूरी भी दी गई थी। इस फतवे के पीछे तर्क ये था कि वंदेमातरम गाने में कुछ लाइनें इस्लाम के खिलाफ हैं

महिलाओं के मॉडलिंग के खिलाफ फतवा - दारूल उलूम देवबंद ने मुसलमाम महिलाओं द्वारा मॉडलिंग को शरियत कानून के खिलाफ बताया है। उन्होंने महिलाओं के रैम्प पर शारीरिक प्रदर्शन को गैर इस्लामिक बताया है।

एयरपोर्ट पर बॉडी स्कैनर के खिलाफ फतवा - एक इस्लामिक संगठन ने एयरपोर्ट पर मुसलमानों द्वारा फुलबॉडी स्कैनर के खिलाफ फतवा जारी किया है। दारूल उलूम देवबंद और उलेमा काउंसिल ने भी इस फतवे का समर्थन किया था। उनके अनुसार फुलबॉडी स्कैन इस्लामिक कानून और मानव गरिमा के खिलाफ है। जबकि कुछ संगठनों के अनुसार यदि सुरक्षा कारणों के लिए जरूरी हो तो उन्हें फुलबॉडी स्कैन से कोई आपत्ति नहीं

फ्रांस के सामान के खिलाफ फतवा - पिछले दिनों फ्रांस में बुर्के को लेकर काफी बवाल हुआ। जिसके बाद दारूल उलूम देवबंद ने फ्रांस में बना सामान खरीदने के खिलाफ फतवा जारी कर दिया। फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी की बुर्के के खिलाफ टिप्पणियों के बाद मुसलिम धर्मगुरू खासे नाराज थे।

भारत हमला करे तो जेहाद के लिए फतवा - पाकिस्तान में मुसलिम धर्मगुरूओं ने फतवा जारी किया था कि यदि भारत उनके देश पर हमला करता है तो जेहाद के लिए फतवा जारी किया जाएगा। जिसके अंतगर्त सभी लोगों के लिए जेहाद में शामिल होना अनिवार्य किया जाएगा। उलेमाओं द्वारा लाहौर में पाकिस्तान की सुरक्षा को लेकर आयोजित एक मीटिंग में ये फतवा जारी किया गया।

फेसबुक के खिलाफ फतवा- फेसबुक को गैरइस्लामिक बताते हुए मुस्लिम संगठन ने इसके इस्तेमाल के खिलाफ फतवा जारी किया था। संगठन के अनुसार फेसबुक परिवार को बिगाड़ता है। संगठन ने घोषणा कर दी की जो भी मुसलमान फेसबुक का इस्तेमाल करता है वह पापी है। उनके अनुसार फेसबुक का इस्तेमाल करने से मिस्त्र में कुछ जोड़ों का तलाक फेसबुक अकाउंट के कारण हुआ।


दारुल उलूम देवबंद इस साल जीवन से जुड़े अलग-अलग फतवों को लेकर खासी चर्चा में रही। देवबंद ने जहां रक्तदान को हराम करार दे दिया, वहीं महिलाओं और पुरुषों के एक साथ काम करने को भी अवैध बताया। देवबंद ने अपने एक फतवे में कहा कि इस्लाम के मुताबिक सिर्फ पति को ही तलाक देने का अधिकार है और पत्नी अगर तलाक दे भी दे तो भी वह वैध नहीं है। इस्लाम में फतवे की बहुत मान्यता है। फतवा मुफ्ती से तब मांगा जाता है, जब कोई ऐसा मसला आ जाए जिसका हल कुरआन और हदीस की रोशनी में किया जाना हो। लेकिन पिछले कुछ सालों में ऐसा हुआ है कि फतवों की बाढ़ आ गयी है।

वही दूसरी ओर भारत का मुसलमान बदल रहा है। वह ज़्यादा विकास चाहता है, रोज़गार चाहता है। अब मुसलमान सानिया मिर्ज़ा की स्कर्ट को लेकर परेशान नहीं होता। बच्चों के लिए शिक्षा चाहता है, ताकि प्रतियोगिता के इस दौर में मुक़ाबला कर सके। उसकी डिमांड सेकुलर हो गई है, लेकिन अ़फसोस की बात यह है कि खुद को मुसलमानों का नेता और रहनुमा समझने वालों को ही इस बात की भनक नहीं है।
1 MARCH 2011

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