Monday 14 March 2011

विधानसभा चुनाव : कांग्रेस व वामदलों की साख दांव पर


देश के पांच राज्यों में विधानसभा के चुनावों की घोषणा हो चुकी है। ये चुनाव अप्रैल-मई में होने हैं। इस साल जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं वो हैं असम, केरल, तमिलनाडु, पुदुचेरी और पश्चिम बंगाल।

इन पांच राज्यों में से असम और पुडुचेरी में कांग्रेस पार्टी की सत्ता है, तो तमिलनाडु में डीएमके का शासन है। पश्चिम बंगाल और केरल में वाम दलों की सत्ता है। इन चुनावों में कांग्रेस और वामदलों की साख दांव पर लगी है। उधर तमिलनाडु में टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले में डीएमके के फंसने से करुणानिधि का छठी बार सत्ता में लौटना मुश्किल लगता है।

राजनीतिक गलियारों में हो उठा-पटक से इन चुनावों में पश्चिम बंगाल और केरल में वामपंथी दुर्ग ढहने के कगार पर है। तमिलनाडु में डीएमके और असम में कांग्रेस के सामने सरकार बचाने की चुनौती है। एक तरफ कांग्रेस के नेतृत्व वाला संप्रग है, जो अपनी साख व रसूख बरकरार रखने के लिए संघर्षरत है, तो भाजपा नेतृत्व वाला राजग इन चुनावों में पूरी ताकत से उतर तो रहा है, लेकिन वह असम को छ़ोडकर बाकी राज्यों में तो सिर्फ खाता खोलने के लिए ही संघर्ष करता नजर आयेगा।

पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव में एक तरफ वाम सरकार के 35 वर्ष का शासन है, तो दूसरी तरफ तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी द्वारा सत्ता परिवर्तन पर दिखाये जाने वाले सपने हैं। इन्हीं दो विकल्पों में मतदाताओं को अपने लिए एक का चयन करना है। जहां एक तरफ नवजागरण लाने के लिए ममता मतदाताओं को रिझाने पर लगी हैं वहीँ सर्वहारा सरकार के मुखिया बुद्धदेव भट्‌टाचार्य के पास अब राज्य के विकास में अपने योगदान को गिनने के लिए कुछ नहीं सूझ रहा है।

स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रशासन से लेकर साहित्य में भी माकपाकरण के आरोप लगाये जा रहे हैं। पिछले 35 वर्षों में लगभग 56 हजार छोटे-ब़डे कलकारखाने बंद हो गये। ऐसे में माकपा सरकार आइटी क्षेत्र में तरक्की, 50 हजार नये शिक्षकों की नियुक्ति जैसी उपलब्धियों को भी गिना रही है।

दूसरी तरफ तमिलनाडु में टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले और करुणानिधि के पारिवारिक सदस्यों की अलोकप्रियता के चलते प्रदेश की राजनीति में जयललिता एक बार फिर उभर कर सामने आ गई हैं। अपने परंपरागत वोट बैंक के अलावा शहरी क्षेत्रों में भी उनका जनाधार ब़ढा माना जा रहा है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सत्ता विरोधी लहर, टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला जैसे मुद्दों की बदौलत जयललिता सत्ता में आने का ख्वाब देख रही हैं, तो द्रमुक अपने जनाधार को बरकरार रखने की कोशिश में लगा है।

पांच बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे एम. करुणानिधि की पार्टी पर पारिवारिक झग़डे और टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला इस चुनाव में इस दल के नतीजों पर भारी प़ड सकते हैं। अभिनेता विजयकांत के नेतृत्व वाला डीएमडीके इस चुनाव में ब़डा खिल़ाडी बनकर उभर सकता है। जयललिता इस दल के साथ मिलकर चुनाव ल़डने की सोच रही हैं।

रही बात केरल की तो वहां भी हालात लगभग पश्चिम बंगाल की तरह ही है। यहां भी वाम दलों की सरकार खतरे में है। माकपा के दो ब़डे नेताओं बीएस अच्युतानन्दन व राज्य माकपा के सचिव एम विजयन के बीच लगातार जारी संघर्ष ने सूबे में पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। केरल से लाल झ़ंडे की वामपंथी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) की सरकार उख़डती तो दिख रही है, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व वाले विपक्षी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के लिए सत्ता तक पहुंचने का रास्ता इतना आसान भी नहीं है।

इसकी मुख्य वजह दिल्ली की यूपीए से लेकर तिरुअनंतपुरम तक यूडीएफ के नेताओं पर भ्रष्टाचार व घोटाले के आरोप साथ ही राज्य के कई नेताओं जी यौन उत्प़ीडन और भ्रष्टाचार के मामले में संलिप्तता उनकी मुश्किलें ब़ढा सकती हैं। वहीं दूसरी तरफ राज्य में स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों में यूडीएफ की शानदार सफलता के बाद तो उन्हें सत्ता सस्ते में मिलती दिखने लगी है।

असम में सबसे रोचक व कांटे का चुनाव है। 126 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को इस बार असम गण परिषद के साथ भाजपा से भी मुकाबला करना प़ड रहा है। भाजपा यहां पर 30 सीटों का लक्ष्य सामने रखकर चल रही है। पिछली बार उसके दस विधायक जीते थे। कांग्रेस जहां सत्ता बरकरार रखते हुए लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए ल़डेगी, वहीं विपक्षी दलों के लिए चुनौती अपना आधार बनाये रखने की है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह राज्यसभा में असम का प्रतिनिधित्व करते हैं. पिछले महीने उन्होंने राज्य का दौरा किया था और विकास संबंधी कई परियोजनाओं की घोषणा की थी। उल्फा के साथ प्रस्तावित वार्ता से भी फायदा मिलने की कांग्रेस को उम्मीद है।

कुल मिलाकर असम में 126 विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे, केरल में 140, तमिलनाडु में 234, पुदुचेरी में 30 और पश्चिम बंगाल में 294 सीटों पर चुनाव होंगे। तमिलनाडु में विपक्षी अन्नाद्रमुक के विजयकांत की पार्टी डीएमडीके के साथ हाथ मिलाने की प्रबल संभावना है जिससे द्रमुक की चुनौतियां बढ़ गयी हैं। वाम दलों के अलावा एमडीएमके पहले से ही अन्नाद्रमुक मोर्चे में है। पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा को ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस से कड़ी चुनौतियां मिल रही हैं।

असम में कांग्रेस पिछले दो कार्यकाल से सत्ता में है और उसे राज्य में विपक्षी अगप के साथ भाजपा भी चुनावी तैयारियों में लगी हुई है। केरल में वाम मोर्चा एलडीएफ को कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ से जोरदार टक्कर मिलने की संभावना है और पुडुचेरी में कांग्रेस सत्ता में है और इसे कायम रखने के लिए वह पूरा प्रयास कर रही है।

अवनीश। 14 मार्च 2011

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