भारतीय राजनीति के तीन किरदार मुझे भुलाये नहीं भूलते, या यूँ कहिये मैं उन्हें भुलाना नहीं चाहता। इनमें पहला नाम राजद सुप्रीमो लालू का आता है...जो एक दशक पहले अपनी बेबाक बयानबाज़ी के लिए मिडिया से लेकर आमजन तक काफी चर्चा में रहते थे। सुनने में आ रहा है की आजकल उनके राजनीतिक तबेले में रावडी देवी के अलावां कोई नहीं बचा है। इस बीच राजनीति में पुनर्वापसी को लेकर लालू ने जय-बीरू के अंदाज़ में पासवान के साथ शोले का रीमेक भी बनाने की कोशिश की जो बुरी फ्लाप हो गयी। दोनों नेताओं ने कहा था कि बिहार में लालू पासवान की आंधी बहने लगी है मगर नीतीश-मोदी के तूफान में वे दोनों ऐसे पटकाय गये कि अब मुंह लटकायें अपने-अपने घरों में बंद हैं।
इस क्रम में दूसरे नंबर पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय का नाम है। जो इटलीपरस्त महारानी के प्रति अपनी वफादारी का सबूत देने के लिए तलवे चाटते हुए कुत्तों को भी शर्मसार कर रहें हैं। महोदय की बेबाकी और खोजी खुलासों ने विक्किलिक्स के संथापक जुलियन अन्साज़े को भी पीछे छोड़ दिया है। आजकल अपनी बयानबाज़ी के कारण इन्हें दिग्गिलिक्स के भी नाम से जाना जा रहा है। हिंदुत्व को गरियाना हो या भाजपा को लतियाना हो दोनों काम आजकल कांग्रेस ने इन्हीं के मजबूत कन्धों पर सौंपा है। इनकी धर्मनिरपेक्ष छवि ऐसी है कि बटाला हॉउस इनकाउन्टर से लेकर ओसामा के मरने तक इनकी दरियादिली मिशाल बन चुकी है। वैसे दिग्विजय के संदर्भ में इस बात की भी खूब चर्चा चलती है कि मुस्लिम मतों को बटोरने के लिए सोनिया गांधी ने उनको मुक्त-हस्त कर दिया है। हो सकता है कि इन्हें अपनी मुस्लिमपरस्ती के कारण भविष्य में लाहौर से सांसद बनने का आफर भी मिल जाये।
तीसरे नंबर पर हमारे पडोसी और हालत के मारे अमर सिंह हैं। सड़क छाप शायरी और अमर प्रोडक्शन की सीडियों से इन्होंने मिडिया में बहुत नाम कमाया है। समाजवादी पार्टी से लतियाकर निकले गए अमर बाबू हमेशा किसी न किसी प्रसंगवश चर्चा में बने रहते हैं। यहाँ तक की वो खुद अपने उपर दलाल का ठप्पा लगवाना पसंद करते हैं। राजनीति से लेकर कार्पोरेट तक सोनिया से लेकर सिने जगत की महान हस्तियों के लिए इन्होंने लम्बे समय तक दलाली का काम बड़ी ही ईमानदारी से निभाया है। इसी महानुभाव ने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के सिविल सर्वेंट भूषण परिवार की सीडी लांच कर अन्ना हजारे की मुहिम की हवा निकला, जिसके लिए देश की जनता इनकी आभारी है। अपनी करतूतों की वज़ह से अमर सिंह लोकतंत्र मे गंदगी फैलाने वाले इतिहास के पन्नो मे "अमर" पात्र के रूप मे मौज़ूद रहेंगे, यह तो निशित रूप से तय है।
अब होनी को कौन टाल सकता है। बेचारे अमर बाबू आजकल अपने टेप को लेकर चर्चा में बने हैं। वैसे, एक तरह से अमर सिंह इस तरह की सिचुएशन पसंद भी करते हैं, जहां कुछ विवाद हो और बयानबाजी जम कर हो। इस विवादास्पद टेप में अमर सिंह और बिपाशा नाम की एक महिला से बातचीत का रिकॉर्ड है। लोग यह मान रहे हैं यह आवाज 9 साल की दोस्ती के बाद जॉन अब्राहम से अलग हुई 32 साल की बॉलिवुड ऐक्ट्रेस बिपाशा बसु की है।
वहीं, अमर सिंह कह रहे हैं, जहां तक सफाई देने की बात है, वह मैं अपनी बीवी के अलावा और किसी को सफाई नहीं दूंगा। कहने को तो अमर सिंह सांसद है लेकिन इस मामले में जबाब सिर्फ पत्नी को देंगे...जनता गयी तेल लेने। अमर सिंह कि पत्नी इस दलाल की बीबी होने के गम में पहले ही रोती थी, अब तो सौतन बिपासा भी आ गई। सच कहा जाये तो अमर सिंह जैसा होनहार दलाल सौ सदी में एक बार पैदा होता है। अमर सिंह यह तो मानते हैं कि टेप में जो मेल-वॉयस है, वह उन्हीं की है, जब आवाज़ उनकी है तो जाहिर है दोनों टांगों के बीच के दर्द की कशिश भी उन्हीं की होगी। पर उनका कहना है कि मैं कोई साधु नहीं हूं, पर शैतान भी नहीं हूं, जैसा कि मुझे पेश किया जा रहा है। ये तो पता नही की आप संत है या शैतान लेकिन दलाल ज़रूर है।
यदि इन नेताओं का यही रवैया रहा तो वह दिन दूर नहीं जब जनता उनको एक स्वर से मानसिक दिवालिया घोषित कर देगी।
यदि इन नेताओं का यही रवैया रहा तो वह दिन दूर नहीं जब जनता उनको एक स्वर से मानसिक दिवालिया घोषित कर देगी।
अवनीश सिंह
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ReplyDeleteइन राजनितिक महानुभावो के ऊपर किया गया आपका कटाक्ष निश्चित रूप से सराहनीय है...वाकई आपकी लेखनी में दम है....शुबकामनाएं.....
ReplyDeleteIshwar C. Upadhyay
Mitra inke rajnitik jivan ko antim samay me is tarah k lekh wakai bhut important h .bhut badiya lekh h
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