Tuesday 27 March 2012

साथी सदस्यों के बढ़बोलेपन से मुश्किल में अन्ना


भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष कर रही टीम अन्ना पर मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रहीं हैं। पिछले दिनों मुंबई के आन्दोलन में घटते समर्थकों से चिंतित अन्ना ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर शक्ति प्रदर्शन इस समस्या से निताज तो पा लिया लेकिन अपने साथी सदस्यों के बड़बोले पन से वह एक बार फिर मुश्किल में आ गये।
टीम अन्ना अपनी बयानबाजी से सभी राजनीतिक दलों को नाराज तो कर दिया, पर अब उसे समझ में नहीं आ रहा है कि इससे उबरा कैसे जाए। भीड़ देखकर राजनीतिक दलों के खिलाफ बोलना टीम अन्ना की आदत में शुमार होता जा रहा है। टीम अन्ना भले ही इसे अपनी रणनीति के तौर पर देख रही हो लेकिन अन्ना इन बातों से चिंतित नजर आ रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार टीम अन्ना में अब इस बात पर विचार चल रहा है कि किस तरह यह साबित किया जाए कि अन्ना और उनके साथी जद(यू) नेता शरद यादव समेत किसी भी सांसद की भावनाएं आहत करना नहीं चाहते थे। शायद अन्ना हजारे को इस बात का आभास हो रहा है कि जब एक बार फिर से उनका आंदोलन पटरी पर आने लगा है तब सभी राजनीतिक दलों को अपने खिलाफ कर देना समझदारी नहीं है। विशेषकर भाजपा, जद(यू) और भाकपा जैसे दलों को अपने से दूर करना अन्ना को काफी नुकसानदेह लग रहा है।
विदित हो कि टीम अन्ना का आन्दोलन हर बार किसी न किसी बयान के लिए मीडिया में छाया रहता है। कभी टीम अन्ना की सदस्य व पूर्व आईपीएस किरण वेदी के नाटकीय अभिनय को लेकर तो कभी फिल्म अभिनेता ओमपुरी द्वारा अन्ना के मंच से सांसदों के खिलाफ अपशब्द कहे जाने को लेकर। इन सब घटना क्रम के बीच अन्ना हजारे को बार-बार सफाई देनी पड़ती है। इससे पहले भी केंद्रीय मंत्री शरद पवार को थप्पड़ वाले बयान पर भी अन्ना और टीम के प्रमुख सदस्य अपना स्पष्टीकरण देते नजर आये थे।
टीम अन्ना को लगता है कि राजनेताओं के खिलाफ जनता में जो गुस्सा है, उसे भुनाया जा सकता है। इसी रणनीति को लेकर टीम अन्ना पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह, महासचिव राहुल गांधी, केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम, मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को निशाना बनाया करती थी लेकिन अब उसने जद(यू) के नेता शरद यादव को निशाना बनाया है।
अन्ना के करीबियों के मुताबिक अन्ना भी महसूस कर रहे हैं कि जंतर-मंतर के मंच से जब मनीष सिसौदिया ने जद(यू) नेता शरद यादव पर अमर्यादित टिप्पणी की थी तब ही उन्हें इसे सुधारना चाहिए था। अन्ना के करीबी मानते हैं कि अगर स्थिति उसी समय स्पष्ट कर दी जाती तो समूची संसद सोमवार को अन्ना के खिलाफ रुख अख्तियार नहीं करती।
विदित हो कि टीम अन्ना के अहम सदस्य मनीष सिसोदिया ने रविवार को जंतर-मंतर पर मंच से भाषण देते हुए जेडी (यू) अध्यक्ष शरद यादव को परोक्ष रूप से चोर बता दिया था। मंच पर लगे स्क्रीन पर संसद में शरद यादव द्वारा दिए गए भाषण के अंश दिखाए जा रहे थे। उसमें दिखाया गया कि कैसे यादव ने प्रस्तावित लोकपाल बिल का विरोध किया था। संसद में यादव के इस भाषण के बीच मनीष ने माइक पर टिप्पणी की, 'इसे कहते हैं चोर की दाढ़ी में...' इसके बाद वह चुप हो गए और उनकी बात वहां मौजूद भीड़ ने पूरी करते हुए जोरदार आवाज में कहा '...तिनका' 

अवनीश राजपूत 27.03.2012

1 comment:

  1. राजपूत अवनीश लिखे हैं...क्या लिखे हैं...किसे पढ़ना है..टीम अन्ना को या उनके विरोधियों को पता नहीं चल पा रहा है।।टीम अन्ना में ना तो कोई "हेगेवार" है और ना ही मनीष तिवारी जैसे "तैमूर लंग"।फिर भी टीम अन्ना को "पासपोर्ट" की तरह इस्तेमाल करने वाले सिविल सोसाइटी के वजह से संतुलन(दिमागी) अगर बिगड़ता है तो इसमें सिविल सोसाइटी का नहीं बीजेपी का "हाथ" है।बीजेपी का कहना है कि उत्तराखंड में लोकायुक्त बिला आने पर टीम अन्ना ने "बधाई" भेजा था..लेकिन चुनाव में जनता ने "बधाई" दे दी।लिहाजा अब हिमाचल में अन्ना का लोकायुक्त बिल लाकर जनता की "बधाई" नहीं लेना चाहती।हिमांचल सरकार लोकायुक्त बिल के शवयात्रा में टीम अन्ना को "नाचने" के लिए बुलाया था।लेकिन टीम अन्ना तो "बजाने" में य़कीन करती है।समझने में दिक्कत आए तो कमेन्ट्स को नहीं पोस्ट में परिवर्तन करने की कोशिश करें।

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